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Kiran piyush shah "kajal"

Romance Tragedy

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Kiran piyush shah "kajal"

Romance Tragedy

बदलाव

बदलाव

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घंटो तक बातें करना...

मेरी हर बात ध्यान से सुनना..

सुबह से शाम तक...

बातों का सिलसिला...

आवाज़ सुनने को सदा बेताब..

तो सुबह तेरी तस्वीरों से खुशनुमा..

तेरे होठों पे सजी हो हँसी

आंखों में शरारत

मिलन की चाह..

हर वक्त रहती...

मेरी दुनिया तुम से शुरू तुम पे खत्म..


होलै होलै..

तुम दूर होते गए..

बहोत बदलाव आया

धीरेधीरे अलगाव बढऩे लगा

पर 

मैं नादान ...

तुम्हारी व्यस्तता 

तुम्हारी मजबूरी समझ..

वहीं खडी़...

इंतजार करती रही..

बातें बंद ही हो गईं

तुम्हारे दीदार को मन तरस जाता..

हां! तुम बहुत बदल गए हो..

नज़रअंदाज कर के किनारा करने लगे..

क्या तुम हो वही?

तुम ही हो ना?


कैसे तस्सली दूँ खुद को..

जो आज भी आस लगाये बैठी

कि तुम मेरे हो मेरे ही हो


मान लूंगी आज भी तेरी हर बात..

चुपचाप ..सहमती से

क्योंकि...

कुछ भी तुम्हारी खातिर...


सुन रहे हो ना?



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