बढ़े चलो
बढ़े चलो
फूूूल बिछे हो या काँटे हो,
राह न अपनी छोड़ो तुुम।
चााहे जो विपदायेें आयेें,
मुुख को जरा न मोड़ो तुम।
साथ रहेें या रहेें ना साथी,
हिम्मत मगर न छोड़ो तुम।
नहीं कृपा की भिक्षा माँगो,
कर न दीन बन जोड़़ो तुम।
बस इश्वर पर रखो भरोसा,
पाठ प्रेम का पढ़े चलो।
जब तक जान बनी हो तन में,
तब तक आगे बढ़़े चलो।