बचपन की यारी
बचपन की यारी


वो बचपन के किस्से
वो मीठी सी यादें
वो स्कूल की घण्टी
वो दौड़ते बस्ते
वो स्कूल के बाहर
कुल्फी की ठेली
वो यारों के संग
ठंडी ठंडी चुस्की
वो रंगी हुई जीभ
से सबको चिढ़ाना
वो ठहाकों में
मौहल्ले को सर
पर उठाना
वो स्कूल में यारों
के बस्ते छिपाना
वो टिफ़िन को पहले ही
चट कर जाना
वो यादें पुरानी
मगर ख़ुशनुमा है
वो बचपन मेरा
अब जाने कहाँ है