STORYMIRROR

monika kakodia

Abstract

2  

monika kakodia

Abstract

बचपन की यारी

बचपन की यारी

1 min
593


वो बचपन के किस्से

वो मीठी सी यादें

वो स्कूल की घण्टी

वो दौड़ते बस्ते

वो स्कूल के बाहर

कुल्फी की ठेली

वो यारों के संग

ठंडी ठंडी चुस्की

वो रंगी हुई जीभ

से सबको चिढ़ाना

वो ठहाकों में

मौहल्ले को सर 

पर उठाना

वो स्कूल में यारों

के बस्ते छिपाना

वो टिफ़िन को पहले ही 

चट कर जाना

वो यादें पुरानी

मगर ख़ुशनुमा है

वो बचपन मेरा

अब जाने कहाँ है


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract