बचपन जीना भूल गए
बचपन जीना भूल गए
बड़े होने की जल्दी में हम बचपन ही जीना भूल गए
चल पड़े हैं आसमान छूने को,
ज़मीन पर कदम रखना ही भूल गए।
याद रखते थे तब हर छोटी बड़ी बात,
जब से बड़े हुए हैं मतलब के सिवा सब याद रखना ही भूल गए।
कैसी प्रतिस्पर्धा है कि दौड़ रहे हैं सब,
स्वास्थ्य के लिए दौड़ना ही भूल गए।
क्या नहीं मिला है यही सोचते रहते हर वक्त,
मिला है कितना कुछ या सोचना ही भूल गए।
मुस्कुरा लेते थे अक्सर पर खुलकर हंसना भूल गए।
बड़े होने की जल्दी में हम बचपन ही जीना भूल गए।