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Aryan Bajpai

Abstract

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Aryan Bajpai

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बचपन जीना भूल गए

बचपन जीना भूल गए

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बड़े होने की जल्दी में हम बचपन ही जीना भूल गए।

चल पड़े हैं सब आसमान छूने को,

जमीन पर कदम रखना ही भूल गए।

याद रखते थे तब हर छोटी बड़ी बात,

जब से बड़े हुए हैं मतलब के सिवा सब याद रखना ही भूल गए।

कैसे प्रतिस्पर्धा है की दौड़ रहे हैं सब,

स्वास्थ्य के लिए दौड़ रहे भूल गए।

क्या नहीं मिला है यही सोचते हर वक्त,

मिला है कितना कुछ यह सोचना ही भूल गए।

मुस्कुरा लेते हैं अक्सर पर खुलकर हंसना भूल गए।


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