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भारती साहित्य सागर

Romance

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भारती साहित्य सागर

Romance

बात कुछ और थी

बात कुछ और थी

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गुफ्तगू हम यहां किससे करे,

तू रहती तो, बात कुछ और थी।


दिल की बात हम किसे सुनाए,

तू आ जाती तो, बात कुछ और थी।


दर्पण में चेहरा  कब तक निहारे

तुम सामने होती तो, बात कुछ और थी।


तेरी फोटो हम कब तक निहारे,

तुम पास होती तो, बात कुछ और थी।


तुझे हम कब तक मनाते रहे,

तुम मान जाती तो, बात कुछ और थी।


तेरे लिए ही सपने कब तक देखे,

तू सपना होती तो, बात कुछ और थी।


तुझ से पुष्कर दूर कब तक रहे,

तू साथ होती तो, बात कुछ और थी।



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