बासंती हवा
बासंती हवा
बासंती हवा के संग।
महकते हैं अंग अंग।।
होंठ तेरे ऐसे दहके ;
ताजे गुलाब से रंग।।
हम तो हुए बेहोश ;
देख तेरे नशीले ढंग।।
बातें तेरी मेरे कान में;
घोले अजीब से भंग।।
प्रेमदिवस का असर ;
प्रेमी लड़े प्रेम जंग।।
प्रेम उल्लास देखकर ;
कुछ लोग होते दंग।।
समय से चलें"आनंद"
मत रखिए मन तंग।।