बारी
बारी
पता नहीं अब आनेवाली किसकी बारी
किसकी सवारी में कौन जनाजे के बगैर जाते
इतना जिद्दी होना भी ठीक नहीं होता है
परिंदो से पूछ लो अदना से घोंसले बनाना भी आसान नहीं होते
इतने बन्दिशों में रहने की आदत नहीं है किसीको
रंजिशें गर पाल ली हो तो सीधा आके टकरा जाते
काल के गाल में समा गये हजारो लाल
जिनसे वफ़ा की उम्मीद थी वही बेवफाई कर जाते
तकनीक का शहशांह होने का खुप दम भरा हमने
इंसानो का दुख समझने में खाई से फिसल जाते
ममतामयी माँ ने उजागर कर दी इंसानियत ' नालन्दा'
वर्ना तिलिस्म की हकीकत को कहाँ हम जान पाते ।
