बांवरा मन
बांवरा मन
कभी आसमाँ को छूने की तमन्ना,
कभी हवा में उड़ने की चाहत।
कभी तितलियों संग बातें,
तो कभी भंवरों संग झूमने की लालसा।
कभी कलियों से बतियाने की हसरत,
तो कभी कल-कल करती नदियों संग गुनगुनाना।
नासमझ है मन तो बांवरा है,
नादानियों में हजारों सपने पिरोए चला है।