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Mahavir Uttranchali

Romance

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Mahavir Uttranchali

Romance

और ग़म दिल को

और ग़म दिल को

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और ग़म दिल को अभी मिलना ही था

चाक अरमाँ, चुप मगर, रहना ही था


कौन देता ज़िन्दगी भर साथ यूँ

आदमी को एक दिन मरना ही था


एक दरिया आग का दोनों तरफ़

इश्क़ में यूँ डूबके जलना ही था


इश्क़ में नाकामियों का सिलसिला

हिज़्र में बरसों बरस जलना ही था


जानता हूँ मैं तिरी मजबूरियाँ

बेवफ़ा को तो अलग चलना ही था


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