STORYMIRROR

कॉमरेड आर्य

Romance

3  

कॉमरेड आर्य

Romance

अस्तित्व मेरा !

अस्तित्व मेरा !

1 min
209

धुंधलाता रहा अस्तित्व मेरा

और मैं ख़्वाब तेरे सजाती रही।

सिमटकर रह गई,


मैं रंग- बिरंगे लिबाज़ में,

और तू आज़ाद

पंछियों सा उड़ता रहा।


इक कतरा उन्मुक्त

आसमान तो मैंने भी चाहा था,

पर तुमने घर की दहलीज़ को

मेरा मुक़द्दर बना दिया !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance