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Sarita Dikshit

Inspirational

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Sarita Dikshit

Inspirational

अस्त हो रहा रवि

अस्त हो रहा रवि

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संध्या ने डाले निज पग

चले बसेरे मे फिर खग

लाली छाई नभ मे अविरल

अस्त हो रहा रवि का उज्ज्वल


गोधूली की बेला आई

स्वर्ण किरण का मेला लाई

पंछी ,डंगर-ढोर लौटे सब

तम की चादर ओढ़ दिवस अब

रजनी को पाने की हलचल

अस्त हो रहा रवि का उज्ज्वल


लुप्त हो रहा दिवस आज का

आनेवाले कल की आस मे

दे जाते संदेश भास्कर

रखो आस्था निज विश्वास मे

भरने जीवन मे कौतूहल

अस्त हो रहा रवि का उज्ज्वल।


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