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Sangeeta Agarwal

Inspirational

4  

Sangeeta Agarwal

Inspirational

असली आज़ादी

असली आज़ादी

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आज़ादी हक़ भी है अपना

अपनी जिम्मेदारी भी

हम सबको मिल कर है करनी

इसकी पहरेदारी भी

बात कह सकूँ अपनी मैं

बिना रोक,टोक,विरोध के

नही सुनूँ किसी दूजे की

सबने मन में ठानी रे!

एक ही बोले,दूसरा सुने

ऐसी आज़ादी बेमानी रे!

कहना सुनना दोनों सम करें

ये ताली एक हाथ बजानी नहीं

बजी जो ताली एक हाथ से

थप्पड़ वो बन जानी रे!

आज़ादी कहाँ रही सलामत

ये तो है मनमानी रे!

जिसका कद ऊंचा है वो सब

केवल सुनाए अपनी बानी रे!

खुद न सुने किसी की वो

करता है मनमानी रे!

आजादी की नींव हिलेगी

चोट "उसे"पहुचानी नहीं

देश,समाज,हो या हो रिश्ते

सबकी यही जुबानी रे!

मैं आज़ाद हूं तो क्या

राह चलते किसी को

थप्पड़ मार दूं?

कपड़े पहनू न पहनू?

बोलूं या चीखू

जब जिसको खींचू?

ऐसी आज़ादी व्यर्थ है

ये इस अर्थ का अनर्थ है

अपने हितों की रक्षा करते

दूसरों के हित का सम्मान

बनाये रखना ही इस आज़ादी

का मूलमंत्र है।



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