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नविता यादव

Inspirational

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नविता यादव

Inspirational

अपनी आवाज़ खुद बन

अपनी आवाज़ खुद बन

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सदियों से चली आ रही है,

ए स्त्री तू क्यों बनी बली हर बारी है,

नारी तू हैं, सुकुमारी तू है,

पूजी तू जाती , दुनिया की जननी तू है।।

ममता की मूरत तू है, एक बलशाली,

विशाल हृदय की स्वामिनी तू है।।


क्यों ये समाज पल - पल तुझ पर

सवाल उठाता,

हर बवंडर की जड़ तुझ को ही कहता,

करता कोई धार्ता, कोई

पर तुझ को दबाने की कोशिश

करता हर कोई।।

क्या पहना है, क्या ओढ़ा है?

क्या चाल है और कैसा व्यवहार है

इस सब का नाप तोल करता हर कोई है।।


मानते सब है कि तू भी मर्द के बराबर हो ,

पर ये बराबरी का हक देता न कोई है,

तू भी तो कंधे से कंधा मिला चलती है

दिन रात तू भी तो मन लगा कर

काम करती है,

गज़ब तब हो जाता है जब तू

जब चार मर्दों के बीच खड़े हो हँसी

मज़ाक और दो कॉफी पी लेती है।।


तब ये मर्द ही कहां ये औरतें भी

तुझे नहीं छोड़ती है

ताने मारने में वो भी कहां पीछे हटती है।।


ए स्त्री तुझ को अपना सार खुद लिखना है,

तू एक वरदान है, अब तुझे अपनेआप को

किसी के सामने साबित नहीं करना है।।

उठ खड़ी हो तू अपनी आवाज़ खुद बन

किसी की उम्मीद न कर

अपनी पहचान खुद बन।।


बहुत हुई अब अग्निपरीक्षा

अब अपना वर्चस्व खुद बन।।

चमक उठेगा तेरा अस्तिव

तू अब सहना बंद कर।।



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