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Anita Koiri

Abstract

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Anita Koiri

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अपना शहर

अपना शहर

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असंख्य लोग रहते इस शहर के अंदर

कभी शहर भी रहता असंख्य के अंदर

बजार हाट गली मुहल्ला और मुहल्लावासियों का शहर

स्कूलों कालेजों युनिवर्सिटीयों वाला शहर

प्रेम करने वाले मैदानों का शहर

अजीबो गरीब सुंदरता लिए शहर

कितनी ही गीतों , धुनों और नगमों का मेल है शहर

मेरा शहर, तुम्हारा शहर, लाखों करोड़ों का शहर

कहीं मोमो का टेस्ट, कहीं कचौड़ी की महक,

कभी एगरोल का करारापन और कभी ईख के शर्बत सी ठंडक

कितना कुछ है यहां इस शहर में

शहर मतलब टूटती इमारतें नहीं, शहर मतलब संकरी गलियां नहीं

शहर मतलब पोशाक, आफिस, भीड़ और भागदौड़ नहीं

शहर मतलब गलियों में घूमते हुए दुनिया घुम लेना

शहर मतलब कितने ही विचारों को जान लेना

अपनापन समेटे हुए है अपना शहर

जहां सब कुछ अपना लगता हैं ऐसा है अपना शहर।


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