अपना सच जियो
अपना सच जियो
मत सुनो उनकी
जो यथार्थवादी होने का
ढोंग करते हैं।
वे निपुण हैं
अपने उद्देश्यों हेतु
परिभाषाओं की व्याख्या में,
तुम पीकदान क्यों बनो
उनकी कुंठाओं के।
रोकेंगे वे
तुम्हरी निश्छल मुस्कान को,
तोड़ेंगे तुम्हारे आत्मविश्वास को,
अपने आक्षेपों से,
जताते हुए भी वो जो कहते है
वही दुनिया का सच है।
सच तो ये है कि
सबकी इसी दुनिया में
अपनी एक अलग दुनिया होती है
जहां आकर्षित होते हैं अनुभव
उनके विचार-व्यवहार से।
किसी और का अनुभव,
जरूरी नहीं तुम्हारा भी हो
सचेत करे बस तुम उतना ही लो,
तुम अपना अनुभव मधुर करो।
अपना सच जियो,
और जीने दो
उन्हें उनका
सच!