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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Inspirational

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Inspirational

अपना रंगमंच ......अपना फेसबुक

अपना रंगमंच ......अपना फेसबुक

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“ क्यों भाई ! आज कल कहाँ गुम हो गए फेसबुक के पन्नों में दिखते नहीं ?पहले तो खूब छाए रहते थे कभी लेखनी, कविताओं, लघु कथाओं से सारे रंगमंच निखर जाते थे !हर कलाओं का प्रदर्शन होता था नई -नई भंगिमाओं वाली तस्वीरें उभरती थीं और चमकते सितारों के कलाओं का प्रदर्शन होता था !!होंठों पर गीत मचलते थे संगीत की महफिलें सजा करती थीं !पर कुछ दिनों से ना आपका आना हुआ ना आपका दीदार हुआ !----““ क्या कहें किससे कहें अपनी व्यथा को एक जैसा दिन किसी का रहता नहीं आज जो उँचाईयों में है कल उसे कोई पुँछता और देखता ही नहीं !

चलो आज इस व्यस्त दुनियाँ मेंकिसी ने मेरा हाल पूछा !वरना इस दौर में किसे किसकी खबर है ?जहाँ दोस्त और दर्शक को हाल मेरा पूछना था वे तो हमको भूल बैठे और रंगमंच ( फेसबुक ) बेजुबान एक अदना कलाकार को ना भूल पाया !!हृदय झूम उठा आखों से आँसू वह निकले इस जमाने में कोई हमदर्द तो मिला !हमने उसे अपने हृदय से लगाया और हमने प्रण किया -तुम्हारा साथ ना छोड़ेंगे, चाहे कोई दोस्त और दर्शक हमरा साथ छोड़ दे !नये -नये रूपों में सदिओं तक फेसबुक के रंगमंचों पर थिरकेंगे ! कलावाजियाँ और गुलटियाँ से लोगों का मन बहलाएंगे !“ जीना यहाँ, मरना यहाँ “ का गीत सदिओं तक दुहराएंगे।


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