अपना कर्म,अपना धर्म
अपना कर्म,अपना धर्म
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ये कर्म भी अपना है ये धर्म भी अपना है करनी माँ की रक्षा,ये कर्तव्य अपना है
माना तू फौजी नही,पर तुझे रण लड़ना है देश के गद्दारों से,भीतर युद्ध करना है
ये कर्म भी अपना हैये धर्म भी अपना है क़ातिल अंधेरे को,तुझे खत्म करना है
जो सोचते है,तू कमजोर है,तुझमे न जोर है,बताना उन्हें तू कितना मुंहजोर है
तुझे देश के लिये,मर-मिटना है अपनी सांसो को,मिसाइल करना है
ये कर्म भी अपना हैये धर्म भी अपना है तुझे इस माटी के लिये,दीपक सा जलना है!