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sandeeep kajale

Abstract

5.0  

sandeeep kajale

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अफसाना शायर का

अफसाना शायर का

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 हम दर्द को हमेशा सहे

हाल-ऐ-दिल कैसे कहे


ग़म के जाम खाली किये

आँसूओंसे भीगें कागज़ पाये


पल पल प्यार में डूबते थे

ज़िंदगी की नुमाइश करते थे


रिशतों के धागे लगे उलझने

कई अनकहियाँ लगी सुलझने


हमको मिली तुमसे बेचैनियाँ

कैसे ये अजनबी बेताबियाँ


तेरे इश्क़ में लूट गए हम

बेवफाई है राहोंमे सनम


इस पागल को घरवाले रोज डांटे

मगर, महफिलमें ये खुशियाँ बाटें


कलम में कैद है, तराना इस कायर का

गजब शायरी लिखे, अफसाना शायर का।


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