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Manjula Pandey

Abstract

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Manjula Pandey

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अनुभव से सीखें हम

अनुभव से सीखें हम

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कुछ मीठे,कुछ सच्चे!

कुछ पक्के,कुछ कच्चे!

अनुभवों से जब गुजरे हम!

सीखें तभी! कब-कब?

कहां-कहां?और कैसे-कैसे?

बंद मुट्ठी के पत्ते खोले हम!

कब बोलें,कब चुप्पी साधें!

कब मौनता को तोड़े हम ?

ये समाज अब चलता कैसे है?

ये सबक कवि महाकुंभ में सीखें हम!


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