अंतिम विदा
अंतिम विदा
तुम जाना सबका जाना निश्चित है,
मैं तुम्हें नहीं रोकूंगा।
क्योंकि कुछ भी यहां स्थाई नहीं है,
न मनुष्य धरती पर न ही परिस्थितियां जीवन में।
निरंतर परिवर्तन ही आधार है हमारे जीने का,
तुम्हें विदा तो दूंगा मैं केवल मात्र शारीरिक रूप से
भावनात्मक रूप से तुम सदा ही हो मुझमें।
जो तकलीफ देती है हमारी अपेक्षाएं है,
एक दूसरे से।
परंतु मैं सीख रहा हूं तुमसे अभी,
बहुत कुछ सीखे जाना बाकी है।
ज़रूरी नहीं जैसा मैं चाहूं वैसा तुम भी चाहो मुझे।
हमारे नजरिए अलग हो सकते है,
किंतु प्रेम तो एक रूप में होता है जो हमेशा रहेगा।