अनोखा रिश्ता
अनोखा रिश्ता
बंधन भी हूँ,
एक रिश्ता भी हूँ।
फिर भी अपनों की ओर
आकर्षित भी हूँ
चाहा वो नहीं जो मिला,
मिला वो नहीं जो चाहा।
चाहत भी हूँ,
और प्रेम भी मैं
वफा भी हूँ,
और समपर्ण भी मैं।
अपना सा ये बंधन
मन में सपनों का
भंडार लिए हैं
हया का ये रिश्ता
ही शादी हैं।