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shweta yadav

Romance

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shweta yadav

Romance

अनकही ख्वाहिशों का जिक्र

अनकही ख्वाहिशों का जिक्र

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पता है मेरी सबसे बड़ी ख्वाहिश,

मैं तुम्हारे साथ हर मौसम में हाथ पकड़कर उन राह पर चलना चाहती हूँ ,

जो किसी दूसरे मौसम के दरवाजे पर मंडराती हो ,

मैं तुम्हारा हाथ थामे एक मौसम से दूसरे मौसम में ,

पहुँच जाना चाहती हूँ।


हर जाड़े के मौसम में एक शाल में डूब के,

किसी कोहरे में ढकी किसी सर्द सुबह को,

झील के किनारे - किनारे टहलते हों ,

राजहंस के जोड़ो की तरह

तिनका - तिनका जोड़ कर आशियाना बनाती चिड़ियां की तरह ,

तुम्हारी आंखों में देखते चलते हुए पहुँच जाएं।


हम बसंत के मौसम में जहां जूही की कलियां खिली हो,

उस पर सफेद तितलियां और हम एक दूसरे का हाथ चूमते

बसंत देवी और वन देवी से दुआ करें ,

यूँ ही बना रहे ये साथ......।


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