Kaushal Kumar Pandey
Romance
निकल पड़े अनजान सफर पर आज तुम्हारे साथ प्रिये हम।
बाल मनोविज्ञा...
मानो या न मान...
फिर भी मैं पर...
बीती रात कमल ...
अनकहे रिश्ते
अनजान सफर
बरगद की छांव
जिंदगी खेल नह...
क्या यही प्या...
बिन फेरे हम त...
हिम्मत की बागडोर ना हाथों से छोड़िए। शिकस्त से जो डर गए मतलब वह मर गए। हिम्मत की बागडोर ना हाथों से छोड़िए। शिकस्त से जो डर गए मतलब वह मर गए।
अंत समय आ गया मैं साँसों का ऋण यूँ चुकाता रहा। अंत समय आ गया मैं साँसों का ऋण यूँ चुकाता रहा।
तुम्हे ढूंढना खुद के खो जाने जैसा है जिसमे तुम नही हो और मैं भी नही हूँ। तुम्हे ढूंढना खुद के खो जाने जैसा है जिसमे तुम नही हो और मैं भी नही हूँ...
धड़कनों की ताल हो , इश्क़ बेशुमार हो। धड़कनों की ताल हो , इश्क़ बेशुमार हो।
मिलने का बहुत मन है तुमसे रूह में हर एक सांस है तुमसे। मिलने का बहुत मन है तुमसे रूह में हर एक सांस है तुमसे।
घबरा जाते है लेकिन , ये मोहब्बत जाया ना हो घबरा जाते है लेकिन , ये मोहब्बत जाया ना हो
जैसे दलदल में है जिंदगी एक दूसरे के लिये मरते है दोनों , जैसे दलदल में है जिंदगी एक दूसरे के लिये मरते है दोनों ,
जब दुनिया के सारे कोलाहल से दूर बस तू मेरे पास हो।। जब दुनिया के सारे कोलाहल से दूर बस तू मेरे पास हो।।
देखते हैं आजकल बहुत लिखने लगे हो कोई ग़म है या कहीं और उड़ने लगे हो। देखते हैं आजकल बहुत लिखने लगे हो कोई ग़म है या कहीं और उड़ने लगे हो।
मुझे बीच राह में अब छोड़कर कभी भी मत जाना। मुझे बीच राह में अब छोड़कर कभी भी मत जाना।
सगीर उस ने प्यार में मुझको सताया है बहुत। सगीर उस ने प्यार में मुझको सताया है बहुत।
संग संग चलने की चाह मन में बसे निश्छल हो मन मोहब्बत के सफर मे। संग संग चलने की चाह मन में बसे निश्छल हो मन मोहब्बत के सफर मे।
तुम्हें अपना बनाने के लिए मेरा जी बेकरार हो रहा है.... तुम्हें अपना बनाने के लिए मेरा जी बेकरार हो रहा है....
दिखता नहीं मेरे और उनके सिवा कोई, सिर्फ काली अंधेरी रात होती है। दिखता नहीं मेरे और उनके सिवा कोई, सिर्फ काली अंधेरी रात होती है।
तब तक डोली में बैठे आचल उनका भिगता रहा... तब तक डोली में बैठे आचल उनका भिगता रहा...
अपना कर्म करता चल सुदर्शन जब साथ खुदा है तो फिर क्यों करता है गम। अपना कर्म करता चल सुदर्शन जब साथ खुदा है तो फिर क्यों करता है गम।
गुमसुम रहे दीपक की भांति, प्यार पतंगे का आजमाते रहेां। गुमसुम रहे दीपक की भांति, प्यार पतंगे का आजमाते रहेां।
कहीं किसी रोज़ कुछ हुआ यूं था। न जाने रब ने ऐसा किया क्यूं था। कहीं किसी रोज़ कुछ हुआ यूं था। न जाने रब ने ऐसा किया क्यूं था।
प्यार का रिश्ता है पति-पत्नी का प्रतीक है एक दूजे की आस्था का। प्यार का रिश्ता है पति-पत्नी का प्रतीक है एक दूजे की आस्था का।
प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु को ज़रूर वापिस लायेगा प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिये। प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु को ज़रूर वापिस लायेगा प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के ल...