बाल मनोविज्ञान
बाल मनोविज्ञान
हँसते हँसते रो देना बच्चों से सीखो।
स्वस्थ अगर रहना चाहो बच्चों सा चीखो।।
निडर सदा निज पथ पर कदम बढ़ाना है।
तो बचपन की तुम को रीति निभाना है।।
भेदभाव का भाव न जिसके उर में उपजे,
बाल मनोविज्ञान सही बतलाना है।।
निश्छल प्यार हृदय में जिनके पलता है।
वह बालक है सबको यह समझाना है।।
आओ सीखें बचपन से हम कपटहीनता,
सच्चे जीवन का यह सही ठिकाना है।।
