अनजान राहों में जाना पहचाना
अनजान राहों में जाना पहचाना
मैं अनजान राहों में जाना पहचाना प्रेम तलाशता हूँ,
मैं नफरत के सागर में प्यार की बूंद तलाशता हूंँ,
मैं छल और झूठ की फ़सल में सच्चाई तलाशता हूंँ,
मैं रक्तपात की दुनिया में शांति के कदम तलाशता हूंँ।
मैं रात के अंधेरे में धूप की रोशनी खोजता हूँ,
मैं चांदनी में शाम की गर्मी को खोजता हूं।
मैं घमंड में निर्दोष मुस्कान की लकीर खोजता हूँ,
मैं हर लड़ाई में दया की भावना को खोजता हूंँ।
मैं खमोश सिसकियों में प्यार की धुन टटोलता हूंँ,
मैं हर एक विलोम का पर्यायवाची टटोलता हूँ।
मैं असहिष्णुता में अपनेपन की आस टटोलता हूँ,
मैं गुज़रे हुए लम्हों में यादों की पोटली टटोलता हूं।
मैं सागर की सतह में रहस्यों का महल ढूंढता हूँ,
मैं मृत आत्मा में परमात्मा का आशीर्वाद ढूंढता हूँ।
मौत के बिस्तर में भी न्याय की किरण ढूंढता हूँ,
मैं आखिरी सांस में जीवन की बूंद ढूंढता हूँ।