अंगदान एक पुण्यकाम
अंगदान एक पुण्यकाम
जाति, धर्म और वर्ण से बढ़कर है मानवता का नाता,
सच्चा इंसान हैं वहीं जो एक-दूजे के काम है आता।
भ्रांतियों, मिथकों को दरकिनार कर ऋषि दधीचि के कार्य को देंगे नए आयाम,
’’अंगदान हैं महादान’’ इससे बढ़कर दान-धर्म-पुण्य का नहीं हैं कोई काम।
जिस व्यक्ति ने किया हैं अंगदान, मानों हो गए उसके तो चारों धाम।
एक व्यक्ति के अंगदान से,सात व्यक्तियों को मिल सकता है जीवनदान
नवजीवन पाने वाले व्यक्ति के चेहरे पर सज सकती है मोहक मुस्कान ।।
जाते-जाते क्यों ना हम खुद को अमर कर जायें, जीवनदान पाने वाले की दुआएं अपने नाम कर जायें
मैने तो अंगदान रजिस्ट्रेशन का भर दिया हैं फार्म, क्या इस पुण्य कर्म में लिख दें अगला आपका नाम ।
