अंधकार तुम्हारे बिना
अंधकार तुम्हारे बिना
सुनो दिकु....
बड़ा ही उजाला है खुशियों का बाहरी दुनियाँ में
अपने भीतर हो रहा अंधकार सा वीरान
यह किस को दिखाऊँ?
बड़ा ही शोर है हलचल भरी बगियों का
दिल में पल रहा सन्नाटे सा शमशान
यह किस को सुनाऊँ?
तुम्हारे लिये हमारा जुदा होना शायद एक बीता हुआ बुरा समय हो सकता है
पर हमारी जुदाई से पल पल बिखर रहा मेरी सांसो का संसार
यह किस को समजाऊँ?
*प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिये*