अँधेरे मुँह उठते
अँधेरे मुँह उठते
अँधेरे मुँह उठते ही करता हूँ राम-राम,
चाँद और तारें भी करने जाते आराम।
आया है सुबह सूरज के साथ उजाला,
जपते सुबह-शाम राम नाम की माला।
करते रहना सबसे पहले अपना काम,
सूरज चाँद और तारों का ये ही पैगाम।
सुबह उठते ही हमको व्यायाम करना,
ठंडे शीतल जल से सदा स्नान करना।
जागने के बारे में सबसे अच्छी ये बात,
एन्जॉय करने के लिए रोज़ चाय पीना।
बचपन से लेकर जवानी तक का सफ़र,
सबसे ज़्यादा अँधेरे मुँह उठना ही प्यारा।
