अँधेरा घना
अँधेरा घना
जब अँधेरा घना हो सूझे न रास्ता हो,
अपने आस के दीप तुम जलाना प्रिय,
हो मुश्किल चाहे कितनी भी बड़ी
सदा हौसलों को हथियार बनाना प्रिय।
दुख के बादल जीवन में आते रहेंगे,
तेरे संयम को वो सदा आजमाते रहेंगे,
टूट कर बिखरने की कवायद न कर,
अपनी मुस्कान को सदा आजमाना प्रिय।
फूल जहाँ होते वहाँ काँटे होते भी हैं
खुशी से आँख नम तो गम से रोते भी हैं,
तुम आँसुओं को यूँ व्यर्थ न गँवाना प्रिय,
अपने उन्मुक्त हँसी से सबको हँसाना प्रिय।
जिंदगी है तेरा इम्तिहान लेगी सदा,
तेरे लिए उसके सवाल होंगे सबसे जुदा,
ऐसे में न तुम घबड़ाना प्रिय,
इम्तिहान में सदा ही अव्वल आकर दिखाना प्रिय।