अंधेर नगरी चौपट राजा
अंधेर नगरी चौपट राजा
1-
बोरा भर पानी हो
और चुल्लू भर अनाज
तो फिर क्या कहने
दाना-दाना चूता हो पानी
और बूँद-बूँद रिसता हो अनाज
तो भी फिर क्या कहने
क्विंटल भर लोगों का जमावड़ा हो
और बीघा भर की हो सूझ - बूझ की बातें
तो भी फिर क्या कहने
आदमी की मौत से आतंकित कुत्ता भागे
तलवा जब जीभ को चाटे
डोरी जब फन्दे में लटके
स्वान-मुख में रोटी देख आदमी का जीभ लपलपाए
तो भी फिर क्या कहने
चोर करने लगे जब पहरेदारी
और पुलिस रखे डाका-लूट जारी
और तब भी शायद किन्तु संभवतः कुछ-कुछ सीधा-सीधा- सा ही लागे
तो फिर क्या होता है अंधेर नगरी और चौपट राजा ?
जब बिके टके सेर भाजी और टके सेर खाजा ?
-2-
लँगड़ा लम्बी दौड़-कूद की प्रतियोगिता जीते
अँधा राई और सरसों बीने
दल- दल भूमि पर लोग निर्भीक चलें
नदी-जल सतह पर हर कोई करे कदम ताल
पाताल की ऊँचाई - से वादे हों
आकाश जैसी गहराई- सी नैतिकता की मिशाल
तारे जमीन पर लोट-पोट करे
चाँद और सूरज जब दीपक ढूंढे
अन्धकार की वाह - वाही में ताली बजे
प्रकाश की हाज़िरी पर जब सन्नाटा सजे
राम- राज्य के मज़े भाई या लोकतन्त्र के मज़े ?
अँधेर नगरी चौपट राजा
टके सेर भाजी टके सेर खाजा ।