अमृत महोत्सव
अमृत महोत्सव
धरा गगन जल जल मगन
मन की अगन बस तिरंगा है
सर ऊंचा रहे सदा शान से
मान अभिमान बस तिरंगा है
जल थल नभ मैं बहे अमृत धारा
भारत देश सदा अभिमान हमारा
ऊंचे मस्तक से करें सुर सलामी
जन जन मनाएं अमृत उत्सव प्यारा
दृढ़ संकल्प नव उत्तम निर्माण का
जन जन में संचरण सुविचार का
आधार शिला नव उत्थान ज्ञान का
फैले दूर उजाला कला विज्ञान का
गंभीर हो के शपथ दोहराएं फिर से नई
हर बाला सम्मान पाए भरे उड़ान कई
हर बालक को उचित अवसर बढ़ने का
जोश उत्साह कभी न कम हो इनका
गर्व सहयोग से मिलकर आगे बढ़ें
प्रगति के पथ की हर सोपान चढ़ें
तीन रंग नीला चक्र है प्रतीक गौरव
जय हो आज़ादी का अमृतमहोत्सव।