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Kavita Sharrma

Inspirational

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Kavita Sharrma

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अमर जवान

अमर जवान

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वो देश के लिए जिया , वो देश के लिए मरा 

इक इक लम्हा उसका देश के लिए गुजरा 

माँ से लेकर विदा गया वो मिशन पर 

कह कर गया जल्द लौटने का वादा कर 

आज सरहद पर कुछ अजीब हवा बही   

दुश्मन के नापाक इरादे की साजिश जो थी 

वो भी तैयार था पूरे हौसले के साथ 

जरा भी डरा नहीं लिएअपनी बंदूक हाथ

अचानक बरसने लगी आग और गोलियाँ 

इसने भी दाग दी बंदूक से गोलियाँ

दुश्मन को गिराया मार भारत का बढाया मान 

पर खुद को न बचा सका , मिट्टि में खाक हुआ 

इसी दिन का शायद था उसे इंतजार 

देश के लिए कुछ कर सकूँ बडा काम 

धन्य उसका जीवन हुआ माँ का मस्तक ऊँचा किया 

सारे देश को उसने गर्व से भर दिया 

कभी भूल न पायेंगे जवान का उपकार 

सभी देशवासियों का सर नत मस्तक है बार बार   

मर कर भी रहेगा अमर वो बहादुर जवान ।



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