"अल्लाह को प्यारी कुर्बानी"
"अल्लाह को प्यारी कुर्बानी"
जब अल्लाह ने मांगी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी
हजरत इब्राहिम ने दी अपने प्रिय पुत्र की कुर्बानी
खुदा का तब चमत्कार देखिए,अपने पुत्र की जगह,
हजरत इब्राहिम ने वहां पाई,एक बकरे की निशानी
तब से शुरू हो गई है,बकरीद मनाने की कहानी
रमजान के 70 दिन बाद आता,दिन यह कुर्बानी
इस दिन सब अपने प्रिय चीज की देते है,कुर्बानी
हजरत इब्राहिम जुबानी खुदा को प्यारी है,कुर्बानी
पर जो कमाते है,ज़माने मे रुपया,पैसा बेईमानी
मेरे अल्लाह को नापसंद होती है,ऐसी कुर्बानी
अल्लाह को पसंद है,हलाल की कमाई की कुर्बानी
हजरत इब्राहिम जुबानी,खुदा को प्यारी है,कुर्बानी
दिल से उसे याद करते,आंख से बहता है,पानी
तब रब मिलता है,चाहे कितना जत्न करो जानी
अल्लाह रहमदिल है,एकबार याद करो दिल से,
सब गुनाह माफ करेगा,वो है,पतित तपावन पानी
हजरत इब्राहिम जुबानी,खुदा को प्यारी है,कुर्बानी
उसे क्या दे सकते,हम उसके भिखारी है,खानदानी
उसे अहम,क्रोध,लोभ आदि दुर्गुणों की दो कुर्बानी
तभी स्वीकार करेगा,अल्लाह तुम्हारी कुर्बानी
हरपल इबादत करो,बीतेगी तुम्हारी हर रात सुहानी
तुम्हे न तोड़ सकेगी,कोई बदी की ताकत शैतानी
तुम उस झूठे,फरेबी,मक्कार,बदमाश शैतान पर ,
चलाओ अल्लाह के नाम की तलवार सुलेमानी
जो भी चलते है,नेकी,ईमानदारी के रास्ते पर प्राणी
खुदा पूरी करता है,उनकी दिल से निकली हर वाणी
हजरत इब्राहिम जुबानी,खुदा को प्यारी है,कुर्बानी
अल्लाह को याद रखो,नही है,उसके जैसा कोई शानी।