Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Manju Saini

Inspirational

4  

Manju Saini

Inspirational

अकल्पित चाह

अकल्पित चाह

1 min
332


माँ नियति के आगे मैं

लाचार सी रही

देखती रही आपको जाते हुए

अंतिम यात्रा पर,

लुढ़कते रहे अश्रु,बहती रही अश्रु धारा

विवश सी देखती रह गई 


अनाथ होते हुए स्वयं को

आज न जाने क्यों मैं

रिक्तता सी देख रही हूँ 

एक अकल्पित सी चाह लिए

आपकी प्रतीक्षा सी हैं न जाने क्यों

आज रह रह कर आपकी स्मृति

प्रफुल्लित सी हो रही हैं मन में

न जाने क्यों आज खड़ी हूँ अकेली सी

आपके स्पर्श की अनुभूति को याद कर

आपका ढांढस बढ़ाने का वो जज्बा

याद आ रहा है आज 


आज मन उदास हैं,और विवश सी मैं

लग रहा है मानो कानों में अभी

ध्वनि आएगी कि 'मैं हूँ' तो साथ में

अकल्पित सी सोच मेरी कि

मानो आप आज मेरे साथ आ बैठती

सहलाती हमेशा की तरह मुझे 

न जाने क्यों आप ऐसे चली गई 

और मैं रह गई नितांत अकेली सी

निरीह सी,बुझे अलाव सा दर्द लिए


अंधेरे में मानो आपके नेह को तलाशती हुई

आज भी दुख में आपको पुकारती हूँ

यही सोच कि आप हौंसला हो मेरा

किसी स्वप्न को साकार हुआ देखती सी

नियति के आगे असहाय सी मैं

एक अकल्पित सी चाह लिए

अकेली सी आपकी बिटिया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational