STORYMIRROR

Ashutosh Kumar

Inspirational

4  

Ashutosh Kumar

Inspirational

AK 47

AK 47

1 min
315

जक्कनपुर की गलियाँ, काँचें-गोलियाँ

पतंग, पिट्टू और लट्टू भी 


स्कूल में मैथ्स और दोस्तों का साथ 

सफ़ेद से काली होती पतलून और मेरा दिल 


दिल्ली की दौड़ (जो अभी भी जारी है)

और ‘बिहारी’ होने का पहला एहसास 


महानगरी की माया, महामारी की साया 

अपनो का प्यार और much-needed आशीर्वाद


भावनाओं की लहरों-लपेटों के बीच

‘हर्ष’ का शांत समन्दर


आज कुछ ज़्यादा ही याद आते हैं

AK को AK47 बना जाते हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational