ऐ चाँद ...
ऐ चाँद ...
यह चाँद गवाही देगा
उन खट्टी मीठी रातों की
उन बातों की उन बाहों की
जिन में खो कर मैने तुमको
अपना सा कुछ मान लिया।
इस चाँद ने देखा होगा
उन आँखों को मिलते हुए
उन सपनो को बुनते हुए
जिनमे खोकर मैने तुमको
अपना सा कुछ मान लिया।
यह चाँद भी हँसता होगा मुझपर
क्यों खुश है क्यों इतराती है।
यह मस्ती, यह बातें
यह सपने, यह रातें
भुला देंगे सब इक रात में
जिनमें खोकर मैने तुमको
अपना सा कुछ मान लिया।
ऐ चाँद मेरा हमराज़ है तू
कभी लिखना मेरी कहानी यूं
कि पढ़लें तेरे अक्स में वह
जिनको मैने
अपना सब कुछ खो कर भी
अपना सब कुछ मान लिया।

