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Dharmender Sharma

Inspirational Children

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Dharmender Sharma

Inspirational Children

"ऐ बेटियां"

"ऐ बेटियां"

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बेटी है अनमोल रत्न, बेटी जग की शान ,

बेटी से खिल उठे परिवार, बेटी परिवार का मान।

बेटा जो घर का दीपक, तो बेटी दो घरों का चिराग,

एक पिता के घर को, दूसरा ससुराल में फैला देती प्रकाश।

बेटी जो पढ़े– लिखे तो, देती दोनों घरों में संस्कार,

दो घरों में संबंध बनाकर, सिखाती प्रेम, स्नेह, करुणा का ज्ञान ।

समझ नहीं आता है, क्यों बेटियों पर अत्याचार किया,

गर्भ में भ्रूण हत्या कर, जन्म से पहले ही उसे मार दिया?

बेटे को जीने का अधिकार दिया, तो बेटी ने कौन सा पाप किया?

कभी बेटी, कभी बहन, कभी मां, कभी दादी बनकर प्यार किया,

कभी बहू, कभी ऊंचे पद पहुंचकर, देश व कुल का रोशन किया।

वीरों की जननी, ज्ञानियों की माता, एक पति की है अर्धांगिनी,

भाई के लिए दुआ करने वाली, बहन से उचित नहीं ऐसा व्यवहार।

बेटी जग की फुलवारी है, खिलने से पहले मत कुचलो,

खिलने दो इन कलियों को, जो महका दे सारे विश्व भर को।

बेटी ज्ञान, सेवा, गुण व संस्कारों की खान है,

मधुर भाषी, उच्च विचार, विनम्र शील, स्वभाव वाली है।

पर प्रकृति ने दी जब सबको आजादी, तो साहस तुम भी दिखलाओ,

अत्याचार को न सहन करो, चाहे तो रुद्र रूप दिखलाओ।

रानी लक्ष्मी, काली बन जाओ, द्रोपदी की तरह दुष्ट संहार करो,

इतिहास तुम्ही से जीवित है, भविष्य की तुम ही हो आस ।

इन बेटियों पर दया करो सब, बेटियों से ही हम सब महान,

ऐ बेटियां जो अनमोल रत्न , ये है जग की शान।



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