अधूरी सी तस्वीर
अधूरी सी तस्वीर
भाटिया आश्रम!!
राजस्थान का फेमस कोचिंग इंस्टिट्यूट
जहाँ आकर एक स्टुडेन्ट
हवलदार से लेकर कलेक्टर तक
कुछ भी बन सकता हैं,
ये है आम आदमी के दिमाग में बसी
भाटिया आश्रम की
एक औपचारिक सी तस्वीर।
पर हमें ये कुछ अधूरी सी लगती हैं
एक मिनट!
आपके दिमाग में एक सवाल आया होगा
कि हम कौन??
हम......
हम वो हैं जो
पलकों में नींद लिए
हाथों में किताब थामें
काली चाय की चुस्कियाँ लेते हुए
अपने दिन की शुरूआत करते हैं और
चाँद-तारों से सजे आसमाँ तले
नींद से जद्दोजहद करते हुए
क्रोनोलोजी का अंतिम पेज पढ़ते-पढ़ते
सो जाते हैं।
हम वो हैं जो
रोमंटिक मूवीज भी
इंटरव्यू के पोंइट ओफ व्यु से देखते हैं और
क्रोनो की 14 फरवरी की डेट में भी
फेक्ट की तलाश करते हैं।
हम वो हैं जो
किसी की सख्सियत का पता
उसके कपडो़ं से नहीं
उसकी रैंक से लगाते हैं।
हम वो हैं जो
ना चाहते हुए भी
होस्टल की पानी से तरबतर दाल और
अधपकी रोटियाँ खाते है या
नन्हें से रूम में किचन,बेडरूम
सब एडजस्ट करके
खुद ही खाना पकाते हैं।
हम वो हैं
जिनकी जिन्दगी रैंक के आसपास घूमती हैं
रैंक आते ही
हर्टबीट की रफ्तार तेज
मानो बुलेट ट्रेन दौड़ रही हो।
टॉप रैंक की खुशी
मानो संसार की सबसे खूबसूरत लड़की
पटा ली हो और
लो रैंक का गम
मानो ब्रेक अप हो गया हो।
आप सोच रहे होंगे
बडी़ नीरस है हमारी जिन्दगी
आप कुछ भी सोच सकते हैं
आखिर आजादी हैं आपको सोचने की।
पर एक बात कहनी थी आपसे
कहूँ या ना कहूँ
चलो कह ही देती हूँ
वो दऱअसल बात ये है कि
हमें ना मोहब्बत हो ग़ई है
सरकारी नौकरी से
और ये किताबें आदत बन गयी है।
हम वो हैं
जिनके रास्ते भी एक हैं और मंजिल भी एक
लेकिन कहानी अलग है सबकी
किसी की हसीन सी कहानी
दिल छू जाती है
तो किसी की दर्द भरी कहानी
आँखें नम कर जाती है।
तो कहना ये था कि
क्यूँ ना इन हसीन से किस्सों
और इन लाजवाब सी कहानियों को
शामिल कर दें इस तस्वीर में
ताकि उसका अधूरापन मिट जाए।