अधुरी बातें
अधुरी बातें
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वो दिन भी थे कैसै
और थी कैसी रातें,
जब हम बिन कुछ कहें
करते थे ढेर सारी बातें,
बयाँ न कर पाए हम
थे वो कैसे मौसम,
एक पल की दूर ने
न जाने किए क्या सितम,
बस अब रही है वो
कुछ पूरी अधूरी सी बातें।
वो दिन भी थे कैसै
और थी कैसी रातें,
जब हम बिन कुछ कहें
करते थे ढेर सारी बातें,
बयाँ न कर पाए हम
थे वो कैसे मौसम,
एक पल की दूर ने
न जाने किए क्या सितम,
बस अब रही है वो
कुछ पूरी अधूरी सी बातें।