STORYMIRROR

Arun Gode

Abstract

4  

Arun Gode

Abstract

अदभुत फकीर

अदभुत फकीर

2 mins
215

इस मातृभूमि की है महानता अप्रंपार,

जिस में जने ईश्र्वर,साधु-संत,ऋषि-मुनी और फ़कीर .

फकीरों के कथनी और करनी में नहीं था कोई अंतर,

जिन की कही बातें होती थी असरदार और कारगर .

मानो आम जनता के लिए पत्थर की लकीर,

इसलिए भक्त करते उन पर सदियों से ऐतबार.

कई राजाओं की संतान बने फकीरों के हमसफर,

उनके आर्शीवाद से बने उनके तख्त और तकदीर.

फकीरों के दुआओं ने चमकाई उनकी प्रतिभा व तकदीर,

इतिहास में वे कहलायें जनता के सफल पालनहार.

जनता ने किया ऐसे वजीरों का सच्चे दिल से प्यार,

इन वजीरों ने जनता पर किया राज दिल खोलकर.

शाहा-शरीफ थे एक महान सूफी संत फ़कीर ,

मालो जी ने रखे पुत्रों के नाम शाहाजी और शरीफ.

शाहाजी के शिवा ने बनायां अष्टप्रधन धर्मनिरपेक्ष स्वराज्य,

किसी सौदागर के सपनों से बढकर था शिव स्वराज्य.

इतिहास इस बात का है साक्षीदार,

कई अंहकारी राजन बने अंत में फ़कीर .

जब कभी स्वंयमभू फ़कीर बनता हैं वजीर,

फिर देखो वजीर कैसे बनाता जनता को फ़कीर .

राष्ट् संपदा बेचने की लगाई है कतार,

आम जनता बने फटेहाल और बेरोजगार.

कलीयुगी कृष्ण का फिर हुआं है पुनरावतार

सिर्फ दो सुदामा मित्रों को ही बनाना है धनकुबेर.

देश के अन्नदाता की नहीं सुनना कोई फुकार,

अन्नदाता के परिश्रम से भरना है धनकुबेरों का भंडार.

रोजगारों का उसको छिनना है उनसे रोजगार,

कट्टर धार्मिकाता का देना उन बेकार हातों को रोजगार.

गरिबी, बेरोजगारी,न्याय,जनसेवा से उसे नहीं कोई सरोकार,

धार्मिक नफरत फैला के बढाना है मित्रों का धन व व्यापार.

मेरे मित्रता की मिसाल से होगा व्दारकाधीश शर्मसार,

फिर किसी कृष्ण्युग का कोई सुदामा नहीं होगा गरिब व लाचार.

उसे देशवासियों को कराना है गरिबी से साक्षात्कार,

अन्नदाता को धनकुबेरों का गुलाम बनाकर.

अदभुत फ़कीर ने किया नये अर्थसिध्दांतो का आविष्कार,

देश के धनकुबेरही बनायेंगें देश को आत्मनिर्भर.

देश के धनकुबेरों बनाना हैं धन से आत्मनिर्भर,

भले ही देशवासियों को ना मिले रोटी जी भरकर.

अंधभक्त गाते हैं फकीर के गुनगान बढचढकर,

अंधभक्तों अभी है बेसब्री से अच्छे दिनों का इंतजार!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract