STORYMIRROR

Vaishno Khatri

Abstract

3  

Vaishno Khatri

Abstract

अभिव्यक्ति

अभिव्यक्ति

1 min
306

कलम होती है भावों की अभिव्यक्ति 

स्याही से मिल सब कुछ कह जाती हूँ 


पहले में दे कुर्बानी हँसते हँसते शीश कटाती हूँ

अनजाने में ही सब को यह पाठ पढ़ा जाती हूँ।

सब को साथ लेकर चलना ध्येय मेरा। 

इसलिए स्याही से मित्रता निभाती हूँ।

स्याही से मिल सब कुछ कह जाती हूँ।


देती हूँ अक्षर ज्ञान तभी आप ज्ञानी कहलाते हो।

अक्षरों से हो विज्ञ हृदय विचारों को पढ़ जाते हो।

विवेकी व ज्ञानवान हों यह लक्ष्य मेरा।

सुंदर लेख को प्रोत्साहित कर जाती हूँ।

स्याही से मिल सब कुछ कह जाती हूँ।


मैं कलम स्याही में आकण्ठ डूब भाग्य बनाती हूँ।

बुलन्दियों को छूए आत्मा यह उपाय बतलाती हूँ।

पवित्र आत्मा वाला नौनिहाल हो मेरा

तुम्हारे जीवन को तराश चमकाती हूँ। 

स्याही से मिल सब कुछ कह जाती हूँ।




Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract