अभिव्यक्ति
अभिव्यक्ति


कलम होती है भावों की अभिव्यक्ति
स्याही से मिल सब कुछ कह जाती हूँ
पहले में दे कुर्बानी हँसते हँसते शीश कटाती हूँ
अनजाने में ही सब को यह पाठ पढ़ा जाती हूँ।
सब को साथ लेकर चलना ध्येय मेरा।
इसलिए स्याही से मित्रता निभाती हूँ।
स्याही से मिल सब कुछ कह जाती हूँ।
देती हूँ अक्षर ज्ञान तभी आप ज्ञानी कहलाते हो।
अक्षरों से हो विज्ञ हृदय विचारों को पढ़ जाते हो।
विवेकी व ज्ञानवान हों यह लक्ष्य मेरा।
सुंदर लेख को प्रोत्साहित कर जाती हूँ।
स्याही से मिल सब कुछ कह जाती हूँ।
मैं कलम स्याही में आकण्ठ डूब भाग्य बनाती हूँ।
बुलन्दियों को छूए आत्मा यह उपाय बतलाती हूँ।
पवित्र आत्मा वाला नौनिहाल हो मेरा
तुम्हारे जीवन को तराश चमकाती हूँ।
स्याही से मिल सब कुछ कह जाती हूँ।