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Kavita Thapar

Romance

2.3  

Kavita Thapar

Romance

अब के आए तो

अब के आए तो

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अब के आए तो रुखसत कर के हमें जाना सनम


कि दुआ बहुत पढ़ ली उम्र भर हमने

बेहकी- बेहकी बातें हमसे कर लेना अब सनम

नहीं करेगें शिकवा और शिकायत अब हम

अब ना बोलेगें कुछ तुमसे ये वादा है सनम 

अब के आए तो रुखसत कर के हमें जाना सनम


दिये ज़िन्दगी के थक चुके हैं जलते जलते

इन्हें प्यार से बुझा देना अब सनम

हसरत थी कि आगोश में तेरे हर रात गुज़रे

आखरी नींद आगोश में ही लेने देना अब सनम

अब के आए तो रुखसत कर के हमें जाना सनम


सजती रही ता उम्र ख्यालों में तुम्हें रख

इक बार अपने हाथों से सज़ा लेना अब सनम

कि फूल कई सूखे इंतज़ार के बिछोने पे मेरे

दो फूल चढ़ाने कि इजाज़त ले के आना अब सनम 

अब के आए तो रुकसत कर के हमें जाना सनम


आंखें तर्सी लम्हा लम्हा दीदार को तेरे

खुलि रहने देना इन्हें देख लूँ जी भर अब सनम 

तेरी बाहें इस जिंदगी में ना मिलिं गम नही 

अपने कांधे पे हमें ले जाना अब सनम

अब के आए तो रुखसत कर के हमें जाना सनम


जिन राहों पे तुझे ढूंढा अक्सर

उन राहों से जनाजे को मेरे ले जाना अब सनम

तेरे क़दमों में जन्नत ना नसीब हुई ना सही

इसी तरह जन्नत में भी याद आना अब सनम

अब के आए तो रुखसत कर के हमें जाना सनम।


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