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Twinckle Adwani

Abstract Children

4  

Twinckle Adwani

Abstract Children

अब बुजुर्ग बदल रहे है

अब बुजुर्ग बदल रहे है

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पहले होते थे बंधन , होते परिवार बड़े

 बढ़ती थी जिम्मेदारी, दबी रह जाती थी। इच्छाएं सारी

 न देते खुद को खुराक सही, न होता वक्त पत्नी संग

 केवल घुंघाटू ,संस्कारों ,मर्यादा में रहते थे।

तीज त्योहार परिवारों में ही जीवन बिताते थे।

मगर अब बुजुर्ग बदल रहे है

छोटे परिवारों में रहते हैं अपनी मर्जी से जीते हैं।

 बांट दी जिम्मेदारी ताकि खुशी से बीती जीवन बाकी

 मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर समय बिताते हैं ।

नई-नई जानकारियां रख खुद में परिवर्तन लाते हैं।

 नहीं रोते किस्मत का रोना ,योग ,ध्यान करते है।

केवल तीर्थों मंदिरों में नहीं अब सिनेमा ,मॉल, होटलों में भी नजर आते हैं।

 कभी शिक्षा की अलख जगाते हैं ।

तो कभी बच्चों को नहीं कहानियां बता कर प्यार जताते हैं।

अपने अधिकारों, कर्तव्य जानते है।

 नहीं लुटाते पूंजी सारी, अपना हक मांगते हैं।

मगर अब बुजुर्ग बदल रहे है

 खुशी से जीवन बिताते हैं। कानून कि रखते हैं जानकारी ,हो अन्याय तो आवाज उठाते हैं।

  मगर अब बुजुर्ग बदल रहे है

 जीवन को व्यर्थ नहीं गवाते है।

 मरने के बाद नेत्रदान, देहदान का संकल्प ,

  परिवार को बताते  हैं।

  बदल रहे है बुजुर्ग सारे



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