सूर्यास्त
सूर्यास्त
किए थे वादे हर शाम मिलेंगे
न रहा साथ ,फिर भी जगी रही आस
ढलता सूरज देखकर खुद को मना लेते हैं।
तुम भी कहीं देख रहे हो मन को बतला देते हैं।
ढलता सूरज हकीकत में खूबसूरत नजर आता है।
नई उम्मीद कि आस जगा जाता है।
कभी तन्हाई का एहसास कराता है।
तो कभी हमें जीवन की हकीकत बताता है।
हर रोज जीवन घटता जाता है।
जो छूट गया जो रूठ गए उन्हें मना लो
नहीं तो तन्हाइयों का साथ रह जाएगा
ढलते-ढलते खूबसूरत वादा कर जाता है ।
कल फिर मिलेंगे उम्मीद जगाता है।
कसमो वादों से जीवन चलता है।
सूरज जैसे ही उगता और ढलता है।