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Mihika Saraf

Abstract

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Mihika Saraf

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आज़ादी हिन्द की

आज़ादी हिन्द की

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अभिमान से

तन पे और माथे पे- सहसी तिरंगा लहराए,

सीने पे गोली खाकर भी, माथे का तिरंगा उठाए,

देखो, कर्म धर्म से,

उठे करोडो हिन्दुस्तानियों के,

उन्नत भाल ये शान से,

अभिमान से।


सम्मान मे

देंगे सलामी देंगे,

वीरो को जावानो को,

वतन के इन कुच दीवानो को

पहरेदारी देश की किनारो को,

जान की कुर्बानी दी,

क्यूकी देशी ज्यादा प्यारी थी,

न्योछावर देश के सम्मान मे,

सम्मान मे।


हिंदुस्तान मे

कंधे से कंधा जोडकर,

एकता उम्मीद का शिखर बनाये,

हाथो मे हाथ मिलकार,

प्रबालता प्रगति की लेहर बिचाए,

धर्म भेद को पीछे छोड़कर,

कर्म भाव अपनाए,

भारत फर्ष के विजय के खातिर, 

भाईचारे का पंथ रचाए,

अपने नए हिंदुस्तान में।

हिंदुस्तान में।


प्राण में.

ह्रदय में जान-प्राण से पहले हो,

जन्मभूमि का जाप,

जिस भारत माता की गोद में सात जन्म बीते,

उसी अन्नदाता जीवनदाता को आज देदे एक सलाम,

देश प्रेम वरदान जैसे,

बसाए नयी पौध की जान में,

जान दी आयु दी प्राण वायु दी जिस माटी ने,

उन्नत भाल पे चढ़ाये उसे शान से,

अभिमान से, सम्मान से,

इस हिंदुस्तान में,

बसाये उसे प्राण में!



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