आवाज़ नही होती
आवाज़ नही होती
ये लोग ये दुनिया,
गुनाहों से बाज़ नहीं आती,
सुना है उसके लाठी में,
आवाज़ नहीं होती ।
सूरज ढलते वक्त,
रोशनी संग ले जाता है,
अंधेरे में रहकर शाम,
नाराज़ नहीं होती ।
मुकर्रर मिलना चाहिए,
जान पहचान के लिए,
एक ही मुलाकात में,
नियाज नहीं होती ।
लोग कर लेते हैं समझौता,
गमों के साथ,
जिंदगी खुशियों की,
मोहताज नहीं होती ।
आसमां को छुने का,
हौसला होना चाहिए,
सिर्फ पंख होने से,
परवाज़ नहीं होती ।