आतंकवाद
आतंकवाद
देश में आज क्यों है आतंकवाद चरम पर,
सीमा पर मंडराता दुश्मन क्यों है आज सनक पर,
इंसानों के वेश में क्यों है आज दरिंदे चमन पर,
इंसानियत क्यों है आज खनन पर
देश में आज क्यों है आतंकवाद-----
हर जगह बहती लहू की नदियाँ चरम पर,
हर जगह भयभीत करती चीखें चरम पर,
अपनों को खोने का भय चरम पर,
देश के लिए प्राण त्याग देने वाले सैनिकों की निडरता चरम पर
देश में आज क्यों है आतंकवाद----
शहीद भगवती प्रसाद भट्ट,
शहीद निरंजन कुमार जैसे शहीदों की निर्भयता चरम पर,
लेकिन ऐ मेरे पड़ोसी मुल्क क्यों नहीं तेरी सजननता चरम पर
देश में आज क्यों है आतंकवाद-----
देश के लिए प्राण त्याग देने वाले सैनिकों का
मातृभूमि के लिए प्रेम चरम पर,
जन्नत नसीब होने का ख्वाब देखने वाले
जिहादियों का जिहाद चरम पर,
धर्म के नाम पर होने वाली हिंसा चरम पर
देश में आज क्यों है आतंकवाद-----
परन्तु बस अब और नहीं चलेगी कुंठा
एवं निराशा की यह ज्वाला चरम पर-----
