साथी
साथी
विरह सी जिंदगी में तनहा थी मैं,
आकर थामा है आपने मुझे अपने प्रेम की डोर से,
लगती है आपकी मुस्कुराहट एक जन्नत सी,
मैं हूँ केवल नदिया का एक किनारा ,
परन्तु आपकी दरियादिली लगती है एक समंदर सी,
विरह सी जिंदगी में ----।
आप हैं दुनिया के लिए बहुत आम से,
लेकिन कभी हमारे दिल के अफसाने तो सुनिए जनाब,
तो बताएँ हैं आप कितने खास एवं अनमोल से,
मेरी जिंदगी मेरी दुनिया है आप से,
आपके संग बिताए लम्हे हैं अत्यंत खास से,
तभी तो नहीं हैं आप बिलकुल भी आम से ,
विरह सी जिंदगी में------।
एक सच्चा साथी है होता क्या,
यह जाना है मैंने आपके संकल्प और विश्वास से,
फूलों की भाँति जीवन महकता है कैसे,
यह जाना है मैंने आपके अत्यंत मोहक
प्रेम रूपी अमृत के संचार से,
विरह सी जिंदगी में------।

