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Om Prakash Gupta

Inspirational

4.5  

Om Prakash Gupta

Inspirational

आत्मविश्वास

आत्मविश्वास

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घनघोर वर्षा के बाद धरा सन्तुष्टि पाकर,

मनोहारी हरियाली की चादर, ओढ़ती है।

भीषण गर्मी में पकी खलिहान की फसलें,

किसानों के खुशियों का कारण, बनती है।


युगों से रचा इतिहास याद दिलाता हर पल,

मानव अहसास पनपे,घटना परिणामों पर।

जीत सदा उसकी होती,जो कठिन दिनों में,

अडिग रहे,जब भरपूर विश्वास रखे खुद पर।1।


 घुप्प अंधेरी रात बीतने पर झुटपुटे भोर का,

 आगाज़ लिए दिन का निराला हास होता है।

 सघन छाया में बैठे, उन पक्षी के निवालों से,

 निलय में उन्मुक्त जीवन का अंदाज होता है।

 वनवास होता ही है,अधर्म के नाश के

लिए,

अडिग रहे,जब भरपूर विश्वास रखे खुद पर।2।


वो विश्वास की लहर है,जो पर्वत से टकराती,

अविराम टक्कर देती,औ चूर चूर कर जाती,

हर निद्रित सपना करता, नव रक्त का संचार,

महामना बना कर देता, करे नवयुग निर्माण।

बिजली भी बनती है,रुके जल की शक्ति पर,

अडिग रहे, जब भरपूर विश्वास रखे खुद पर।3।


वर्तमान के संकट ने भले ही हर बरपाया हो,

अडिग आत्मविश्वास ने ही इसे रोक पाया है।

सो बुद्धि,जागरूकता,धैर्य का लेना है संज्ञान,

वर्गभेद,अधीर निराशा का करना है बलिदान।

आशा की किरण आयेगी,नया अंदाज लेकर,

अडिग रहे,जब भरपूर विश्वास रखे खुद पर।4।


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